जागरण ब्यूरो/एजेंसी, जम्मू. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने सांप्रदायिक हिंसा बिल को झगड़ा फैलाने वाला बताते हुए कहा कि यह देश के नागरिकों में भेदभाव पैदा करेगा। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे निजी स्वार्थ से उपर उठकर देश के लिए काम करें। उन्होंने केंद्र की यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इसमें बाहरी तथा आंतरिक खतरों से निपटने की इच्छाशक्ति नहीं है और न ही सरकार पड़ोसियों द्वारा देश की सीमा के साथ की जा रही छेड़छाड़ को रोकने में सक्षम है।
जम्मू दौरे पर भागवत ने वेद मंदिर जम्मू में रविवार सुबह स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आने वाले सांप्रदायिक हिंसा बिल में जिस तरह के प्रावधान शामिल किए जा रहे हैं वे सही नहीं है। जिस किसी के दिमाग की
यह उपज है वह राष्ट्रहित में नहीं है। इसे राष्ट्रीय एकता काउंसिल में ले जाया गया था, लेकिन विरोध होने पर इसे पेश नहीं किया गया। अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं इसे बदलकर लाएंगे। बिल लाकर देश को तोड़ने का इरादा है क्या।
यह उपज है वह राष्ट्रहित में नहीं है। इसे राष्ट्रीय एकता काउंसिल में ले जाया गया था, लेकिन विरोध होने पर इसे पेश नहीं किया गया। अब प्रधानमंत्री कह रहे हैं इसे बदलकर लाएंगे। बिल लाकर देश को तोड़ने का इरादा है क्या।
भागवत ने स्वयंसेवकों को देश की समस्याओं के समाधान का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि समस्याएं देखकर डरना या निराश नहीं होना है बल्कि उपाय करना है। समस्याओं से निजात पाने और हिंदू तरीके से ही समाज को खड़ा करना है। अगर हम तरीका ढूंढ लेंगे तो वह हिंदू तरीका ही होगा। हम सब आपस में मिलजुल कर चले, आपस में मत लड़े, इससे संपूर्ण राष्ट्र का भला होगा। समस्याओं का रोना-रोने से कुछ नहीं होने वाला। पूरे राष्ट्र को अपना समझो, विविधता में ही एकता है। भारत के नाम से हिंदू जुड़ा है। भारत में सब हिंदुओं के पूर्वज हैं। यह बात पिछले चालीस वर्षो से किए गए डीएनए सामान पाए जाने की बात सामने आई है। संपूर्ण समाज को राष्ट्रवाद सेवक संघ बनाना है।
उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रहित में सोचना है। उन्होंने जम्मू कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि एक तरफ सीमा पार से घुसपैठ, चीन की धमकी है। पाक चीन से दोस्ती करके अब अमेरिका को ही धमका रहा है। सीमाएं सुरक्षित नहीं है, कई जगह तारबंदी नहीं है, देश के भीतर की समस्याओं में नक्सलवाद, माओवाद है। ऐसी स्थिति में समाज को दिशा देने की जरूरत है, भ्रष्टाचार बढ़ने से सरकार की साख शून्य तक पहुंच गई है। सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक पहुंचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने न तो आंतरिक खतरों, आतंकवाद से निपटने में मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई और न ही पाकिस्तान, चीन या बांग्लादेश द्वारा सीमा के साथ की जा रही छेड़छाड़ को समाप्त करने के लिए कदम उठाया।
उन्होंने कहा कि सीमा पर हर तरफ दखल बढ़ रहा है, घुसपैठ भी हो रही है और कई जगह सीमाएं रेखांकित भी नहीं हैं, जो राष्ट्र के लिए ठीक नहीं है। हम सीधे तौर पर सीमा पार से हो रही घुसपैठ के पीडि़त हैं। चीन से मिल रहे खतरों का खास तौर पर जिक्र किया और कहा कि चीन हमारी सीमा से छेड़छाड़ कर रहा है।
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