बसंत यानी सृजनात्मकता : वसंत पंचमी यानी ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की आराधना का दिन। बसंत पंचमी पर हर साधक ना सिर्फ देवी की आराधना करता है बल्कि यह दिन कई मायनों में हर कलाकार के लिए खास होता है। कहीं पर कलाकार अपने वाद्य यंत्रों की पूजा-अर्चना करते हैं तो कहीं साधकों द्वारा पहले से ज्यादा अभ्यास और समर्पण के प्रण लिए जाते हैं।
संगीत ईश्वरीय देन है : संगीत, उसका एहसास और उसकी साधना ईश्वरीय देन है। हर साधक के लिए वसंत पंचमी का दिन एक नई ऊर्जा लेकर आता है लिहाजा इसका इंतजार सभी को रहता है। जलज संगीत समूह के निदेशक तबला वादक शचींद्र अग्रवाल बताते हैं- संगीत से आत्मीय जु़ड़ाव होने के कारण मैं तबला बजाता हूँ। हर साधना की शुरूआत धीमी और कठिन होती है। लिहाजा डरने की बजाय ज्यादा से ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है।
बसंत यानी सृजनात्मकता का आधार : एक्रेलिक और ऑईल मीडियम में काम करने वाले चित्रकार अजय पाटीदार और नारायण पाटीदार बताते हैं एक चित्रकार के लिए बसंत का मौसम रचनात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। ऐसे समय में कलाकार को नई सोच, नया दृष्टिकोण मिलता है जो सृजनात्मकता का आधार साबित होता है। वसंत पंचमी के दिन सभी युवा चित्रकारों को मेहनत और समर्पण की भावना का संचार करना चाहिए। संतोष और सफलता दोनों तय है, बस मेहनत जरूरी है।
भावनाओं को जाहिर करने का मौसम : चित्रकार हरेंद्र शाह करीब 40 साल से लैंडस्कैप और एब्सट्रेक्ट में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वसंत ऋतु हर चित्रकार को खुले विचारों के साथ काम करने की प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान करती है। माहौल काफी खुशनुमा हो जाता है जिससे खुले और चटकीले रंगों का प्रयोग करते हुए हम अपनी भावनाओं को ज्यादा प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकते हैं।
करें हर साज की आराधना : ओल्ड जीडीसी में कत्थक और क्लासिकल नृत्य की तालीम देने वाली डॉ. प्रियंका वैद्य कहती हैं- हर कलाकार के लिए वसंत पंचमी का नृत्य और नर्तक के लिए विशेष महत्व होता है। इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने के साथ ही अभ्यास के प्रयास शुरू करना चाहिए। छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़ी मंजिल मिलती है। आज के दिन हर कलाकार को अपने साज की पूजा कर ज्यादा से ज्यादा अभ्यास का ध्येय बनाना चाहिए। क्लासिकल डांसर और टीचर मेघा शर्मा कहती हैं- इस दिन कई कलाकार अपने साज- साधनों की पूजा-आराधना करते हैं। एक नर्तक के लिए घुँघरू ही सरस्वती का पर्याय होते हैं इसलिए मैं वसंत पंचमी पर घुँघरू की पूजा कर ज्यादा से ज्यादा युवाओं में नृत्य की प्रेरणा का संचार करूँगी।
मेहनत का संकल्प लें : हर रोज घंटों अभिनय सीखने और सिखाने वाले सनी खन्ना और गौरव साध बताते हैं कि अभिनय में हाथों-हाथ सफलता नहीं मिलती, लिहाजा अभिनय के हर साधक को वसंत पंचमी के दिन से और भी ज्यादा मेहनत करने का संकल्प लेना चाहिए। ड्रामा के उत्थान के लिए इसे विभिन्न कोर्सेस के तहत् विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
साधना में समर्पण जरूरी : बाँसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू बताते हैं- मैंने ब्लाइंड स्कूल में बच्चों को संगीत की प्रस्तुति देते हुए देखा और मैंने बाँसुरी सीखने का निर्णय लिया। वसंत पंचमी का दिन हर साधक को और अधिक साधना के लिए प्रेरणा देता है। इस दिन कला के साधकों को ज्यादा समर्पण के साथ मेहनत करने का प्रण लेना चाहिए। बाँसुरी में अलंकार और फूँक की साधना बेहद कठिन होती है। लिहाजा शॉर्टकट की बजाय मेहनत में विश्वास करें। वसंत पंचमी का दिन ऊर्जा, प्रेरणा और सकारात्मकता का संचार करता है।
गायन की प्रेरणा वसंत ऋतु : संगीत महाविद्यालय में विद्यार्थियों को गायन सिखाने वाली जयपुर घराने की गायिका डॉ. पूर्वी निमगाँवकर बताती हैं- गायन और वसंत त्रतु में गहरा संबंध है। वसंत पर कई गीत लिखे जाने के साथ कई कारण हैं कि यह ऋतु गायन की प्रेरणा का संचार करती है। गायन एक साधना है, एक पूजा है जो हमारा सीधा संबंध ईश्वर से जो़ड़ती है। हम कहीं भी हों गायन के जरिए ईश्वर से सीधा संपर्क स्थापित किया जा सकता है।
साभार : http://hindi.webdunia.com/
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