जिस तरह से सारी राजनीतिक पार्टियाँ भारत में मुसलमानों के अधिकारों के प्रति चिंतित हैं उससे तो ऐसे ही लगता है कि कहीं भारत इस्लामिक देश ही घोषित न हो जाये | वैसे भी देखा जाय तो यहाँ हिन्दुओं का ही शोषण हो रहा है | क्योंकि हिन्दू शुद्र, बनिया, ब्राह्मण, जाट, गुजर, क्षत्रिय आदि मे बंटा हुआ है जबकि मुसलमान एक हैं, ईसाई एक हैं, सिक्ख एक हैं परन्तु हिन्दुओं में जातियां गिनीं ही नही जा सकती हैं | जिन हिन्दुओं को मुग़लों ने जबरदस्ती मुसलमान बनाया, आजादी के बाद भी किसी भी हिन्दू संगठन ने उनको वापिस हिन्दू बनाने की पहल नही की | किसी ने सोचा तक नहीं पहल तो बाद में ही होती | यह बात इसलिए लिखी जा रही है क्योंकि आने वाला समय हिन्दुओं के लिए अच्छा नहीं दिख रहा है | क्या हिन्दुओं की रक्षा हेतु कोई संगठन ईमानदारी से प्रयत्नशील है, राजनीति करना अलग बात है परन्तु सार्थक प्रयास करना दूसरी बात | बात मात्र दो वर्ष पहले की है जब भारत में हरिद्वार में कुम्भ चल रहा था तब लाखों की संख्या मे हिन्दू और हिन्दू संत महात्मा और हिन्दुओं की राजनीति पोषित करने वाले संगठन हरिद्वार में सक्रिय थे | ठीक उसी समय भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने भगवान श्री कृष्ण और राधाजी के बारे मे एक घोर आपत्ति जनक टिप्पणी की थी परन्तु उस टिप्पणी के विरुद्ध एक भी नही बोला |
आने वाले समय में मुसलमान भारत की राजनीति को सीधे-सीधे प्रभावित करेंगे क्योंकि इनकी बढ़ती जनसँख्या हर किसी राजनैतिक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होगी परन्तु यह सोच इतनी लाभदायक न होकर नुकसानदायक ही सिद्ध होगी क्योंकि आज मुसलमान कभी बसपा, कभी सपा, कभी कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी का दामन पकडे हुए है, परन्तु दो हजार चौदह का चुनाव निर्णायक सिद्ध होगा | आज केंद्र सरकार यह भली भांति जानती है कि इस सरकार की वापसी मुश्किल है इसलिए सारे मंत्री लूटखसोट में लगे हुए हैं और धन समेटने में लगे हैं और चुनाव में हारने के बाद ये यहाँ से विदेश खिसक जायेंगे और यहाँ मुसलमानों के हाथ मे सत्ता सौंप जायेंगे | अगर मुसलमान दो हजार चौदह में न भी आ पाए तो भी नयी सरकार राज पाट चला ही नही पाएगी क्योंकि यहाँ सिर्फ कर्जे के अलावा बचेगा भी क्या ?
आज उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री जो मुसलमानों के जमीनी आरक्षण की बात कर रही हैं उसकी भविष्यवाणी मैंने दो साल पहले ही कर दी थी और केंद्र सरकार भी उनको आरक्षण देने में लगी है परन्तु मुसलमान शिक्षा और नौकरी में आरक्षण लेने में ज्यादा दिल्चिस्पी नही ले रहे हैं क्योंकि उनकी निगाह तो भारत में सत्ता हथियाने की है | इसके लिए वे जमीनी आरक्षण मांगेंगे और जब सरकार स्वयं यह बात पूरी कर देगी तो विरोध स्वयमेव ख़त्म | आने वाले समय में एक अध्यादेश जरुर लागू होगा कि जिन हिन्दुओं के पास एक ही नाम में एक से अधिक भूखंड हैं, उनको इनमें से किसी एक को ही चुनना होगा और शेष सरकार अधिग्रहण कर लेगी या एक निश्चित अधिकतम भूखंड क्षेत्रफल तक ही अनुमन्य होगा, शेष भूखंड मुसलमानों को दिया जायेगा अन्यथा इतनी बड़ी संख्या में मुसलमानों को बसाया कहाँ जायेगा ? यह कोई नई बात नही है इसकी बुनियाद तो जवाहर लाल ने रख दी थी जिनको लोग पंडित कहते थे परन्तु इतिहास अध्ययन के बाद उनके हिन्दू होने में संदेह है अगर लोगों को याद हो तो जिस समय भारत का प्रथम प्रधानमंत्री भारत के स्वतंत्र होने के बाद पहली बार रूस की यात्रा पर गया था तो उसका स्वागत भारतीय संस्कृति के अनुसार हुआ था और रूस सरकार को यह उम्मीद थी कि भारत का प्रधानमंत्री जो स्वयं को पंडित कहलवाता है वह अपना भाषण संस्कृत में देगा इसलिए रूस सरकार ने संस्कृत भाषा को रूस भाषा में परिवर्तित करने वाले समारोह में बुला रखे थे परन्तु जब प्रधानमंत्री ने भाषण अंग्रेजी में दिया तो रूस सरकार सन्न रह गयी क्योंकि अंग्रेजी न भारत की मात्र भाषा थी और न ही रूस की परन्तु प्रधानमंत्री क्यों संस्कृत में बोलता ? समझ सकते हैं !
खैर उसके बाद मुसलमानों का राजनीति मे प्रवेश होने लगा और मुसलमानों ने अपनी जनसँख्या बढ़ाना एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में अपना लिया और आज सबको ही पता है कि भारत मे मुसलमानों की कितनी कदर है | मुग़लों के समय में हिन्दुओं को जिन्दा रहने के लिए मुसलमान बनना पड़ा था और वही समय फिर आने वाला है | ये कांग्रेसी नेता या मुख्यमंत्री सभी नेतागण इन मुसलमानों को अहम् भूमिका में लाने को प्रयत्न रत हैं, जिसका खामियाजा जल्दी ही भुगतना पड़ेगा क्योंकि ये नेता हिन्दुओं के समान दो ही विकल्प छोड़ेंगे य तो इस्लाम कबूल लो या मुसलमानों को अपना राजा चुन लो | और आज भी जिन शहरों में मुसलमानों की प्रतिशत ज्यादा है वहां की राजनीति इनके ही इर्द-गिर्द घूम रही है |
पहली लोकसभा में कितने मुसलमान सांसद थे और सन दो हजार नौ की लोकसभा में कितने हैं और पहली स्वतन्त्र उत्तर प्रदेश की विधान सभा में कितने मुसलमान विधायक थे और आज कितने हैं ? बस अंदाज इसी से लगा लीजिये कि इस बार कितनों को टिकट दिया जा रहा है और जब लडाई ही मुसलमान उम्मीदवारों में होगी तो जीत भी मुसलमानों की ही होगी |जब हिन्दू ही हिन्दुओं को नही पचा रहे तो मुसलमान ही क्यों पचाएंगे | दिग्विजय सिंह कोई पागल नही हैं कि वैसे ही अंट शंट बोलते रहते हैं बल्कि उनसे कहलवाया जा रहा है और कहलवाने वाला कौन हैं ? आज संसद पर हमले करने वाले को कोई सजा नही और अगर अन्ना हजारे कुछ बोल देते हैं तो संसद का अपमान हो जाता है | और अभी देखने वाली बात कि जब इन मदरसों की सच्चाई लोगों के सामने आएगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी और पछताने के अलावा कुछ नही बचेगा |
अतः अब समय की मांग है कि इस समय हिन्दुओं को परस्पर जातिगत भेदभाव मिटाकर एक साथ एकजुट हो जाना चाहिये | जो भी नेता आता है उसकी निगाह केवल मुसलमानों की ही ओर लगी रहती है कि कैसे उनको प्रसन्न किया जाय उनके व्रत यानी रमजान के महीनों मे इनके यहाँ जाकर रोजा इफ्ताहार करते हैं जबकि कभी किसी मुस्लमान को किसी हिन्दू के यहाँ नवरात्रों मे जाते देखा है, अजी मुसलमानों की ही क्यों कहें क्या किसी हिन्दू नेता को किसी हिन्दू के यहाँ ही नवरात्रों मे उपवास दिनों मे जाते देखा है ? उसके बाद भी हिन्दू मुसलमानों की ही सेवा में लगे हैं | जब कभी भी मुसलमानों के त्योहार आते हैं कुछ ऐसी लीला प्रभु की होती है कि उन्हीं दिनों में हिन्दुओं के भी त्यौहार आते हैं और उस समय पशुओं के वध सारे आम होते हैं | इसलिए इस समय हिन्दुओं में जन जागृति फैलाने की जरुरत है परन्तु कुछ अवसरवादी हिन्दू हिन्दुओं के ही दमन को ही प्रमुखता देते है अतः ऐसे गद्दार हिन्दुओं का बहिष्कार करें और सभ्यता से उनका भी मार्ग दर्शन करें |
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