Monday, 26 December 2011

Muslims attack on a Hindu Temple in Denmark, डेन्मार्क स्थित हरे कृष्ण मंदिर पर मुसलमानों द्वारा आक्रमण

हिंदुओ, सामर्थ्यशाली हिंदुत्ववादी संगठन एवं मुसलमानों की दास्यता करने में स्वयं को धन्य समझने वाले हिंदुद्वेषी कांग्रेसी नेता इस पर कोई कृति नहीं करेंगे । इसलिए आप ही कृतिशील हो जाएं ! हिंदुओं को पारंपरिक वेश परिधान न करने की विनती करने वाला स्थानीय प्रशासन क्या मुसलमानों को ऐसा सूचित करने का साहस दिखाएगा ?

डेन्मार्क देश ईसाई बहुसंख्यक है । इस देश में यदि हिंदुओं को अपने धर्मानुसार आचरण करना असंभव है, तो पाक, बांगलादेश, मलेशिया एवं इंडोनेशिया के समान मुसलमान बहुसंख्यक राष्ट्र में हिंदुओं की स्थिति क्या होगी, इसका हम विचार भी नहीं कर सकते । इस घटना से यह स्पष्ट होता हैं कि, हिंदुओंके लिए संपूर्ण विश्वमें एक भी सुरक्षित स्थान नहीं है । यह स्थिति परिवर्तित करने हेतु हिंदु राष्ट्र स्थापित करना अनिवार्य है ।

कोपनहेगन, २४ दिसंबर - डेन्मार्कमें पश्चिम कोपनहेगन में स्थित ‘हरे कृष्ण’ मंदिर पर मुसलमानों के एक समुदायने आक्रमण किया । Muslims attack Hare Krishna temple in Denmark युवकों के इस समुदाय द्वारा मंदिर पर पथराव कर मंदिर के द्वार के शीशे तोडे गए । मुसलमानों के समुदाय से संघर्ष टालने के लिए नगर प्रशासन द्वारा मंदिर के आसपास के मुसलमान प्रभावित क्षेत्र में हिंदु भक्तों को पारंपरिक वेश परिधान न करने की विनती की गई है । (अर्थात् डेन्मार्कमें हिंदुओं का धर्मपालन करना कठिन हो गया है । आज ‘पारंपरिक वेश परिधान न करें’, ऐसा कहनेवाले भविष्यमें पूजा-पाठ करनेके लिए भी प्रतिबंध लगाएंगे । विश्व भर में हिंदुओं ने संगठित होकर ऐसी घटनाओं का विरोध नहीं किया, तो पूरे विश्व में हिंदुओं के श्रद्धास्थान नष्ट करने के लिए भी मुसलमान हिचकिचाएंगे नहीं ।) डॅनिश पुलिसद्वारा इस आक्रमणके विषयमें प्रथमदर्शी अहवाल नीचे दिएनुसार बनाया गया है ।

१. मुसलमान गुंडों के एक समुदाय ने कोपनहेगन स्थित ‘हरे कृष्ण’ मंदिर पर आक्रमण किया । इन गुंडों ने प्रथम मंदिर के प्रवेश द्वार पर पथराव किया । तदुपरांत माताजी आश्रम की खिडकियां तोडीं । मंदिर के अध्यक्ष द्वारा इस आक्रमण के विरोधमें पुलिसमें परिवाद प्रविष्ट किया गया । परिवाद प्रविष्ट करने के आधे घंटे के उपरांत केवल एक पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर आया । उसने मंदिर की हानि का विषय पंजीकृत किया एवं वहां से चला गया । आधे घंटे में मुसलमान गुंडों के बडे समुदाय ने पुनः मंदिरपर आक्रमण कर पथराव किया तथा द्वार के शीशे तोडे । तदुपरांत उन्होंने मंदिर का प्रवेशद्वार तोडकर मंदिर में प्रवेश करनेका प्रयत्न किया । इस विषय में पुलिसमें पुनः परिवाद प्रविष्ट किया गया; परंतु उस समय एक भी पुलिस घटनास्थल पर नहीं आया । (यदि मुसलमानोंद्वारा किसी चर्चपर आक्रमण हुआ होता, तो डॅनिश पुलिस ने निश्चित ही ऐसा व्यवहार नहीं किया होता । उन्होंने अपराधी मुसलमानों को ढूंढ निकाल उन्हें न्यायालय के समक्ष खडा किया होता । डॅनिश पुलिस द्वारा हिंदुओं के परिवाद की उपेक्षा यह मुसलमानों की दास्यता करने वाली कांग्रेस का ही पाप है । हिंदु बहुसंख्यक भारत में ही यदि हिंदुओं के साथ शुल्क नागरिक के समान व्यवहार किया जाता है, तो विश्व के अन्य देशों से सम्मानपूर्वक व्यवहार होगा, इस प्रकारकी अपेक्षा करना ही मूर्खता है । हिंदुओ, विश्वमें एवं भारत में आपकी स्थिति बिन बुलाए अतिथिसमान करनेवाले राष्ट्रद्रोही कांग्रेस वालोंको आप कितने समयतक सहेंगे ? )

२. हरे कृष्ण मंदिर पर जिस दिन आक्रमण हुआ, उसी दिन प्रातः मंदिर के दो भक्तों को नगरमें छोटे से कारण को लेकर मारपीट की गई थी । यह संघर्ष न बढे तथा स्थानीय मुसलमानों द्वारा पुनः आक्रमण न हो, इस हेतु मंदिर के भक्तोंको पारंपरिक वेश परिधान न कर बाहर जाने का आवाहन किया गया है । (हिंदुओंकी धर्मस्वतंत्रता पर आंच लाने का ही यह प्रसंग है । मुसलमान गुंडों पर कार्यवाही करने की अपेक्षा हिंदुओं को ही बाहर जाने के लिए रोकना अर्थात् मुसलमानों को गुंडागर्दी करने के लिए अनुमति देने समान ही है ! क्या प्रशासन ने ईसाईयों को ऐसा कहने का साहस दिखाया होता ? हिंदुओं की अतिसहनशीलता एवं भारतीय शासकों द्वारा मुसलमानों की दास्यता ही मुसलमानों की इस उद्दंडता को कारणभूत हैं । हिंदुओ, यदि आपने इन जिहादियों के विरोधमें संगठित होकर कृत्य नहीं किया, तो वे आपका अस्तित्व ही नष्ट कर देंगे यह निश्चित है !)

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