Thursday, 14 July 2011

फिर हुई मुंबई जिहादी आतंक का शिकार

एक बार फिर से मुंबई में जिहादी आतंक का खौफनाक चेहरा देखने को मिला है. कल शाम को मुंबई के तीन जगहों दादर, झवेरी बाज़ार और ओपेरा हाउस में जिहादी आतंकियों ने बोंम्ब ब्लास्ट करके 2 दर्जन से अधिक निर्दोष लोगों को मौत की नींद सुला दिया. इस ब्लास्ट में लश्कर-ए - तैयबा  और इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ सामने आया है. ये दोनों ही संगठन जिहादी संगठन हैं और कट्टर इस्लामिक व् दारुल इस्लाम के अजेंडे पर काम करते हैं. 
ये ब्लास्ट कल शाम 6:51, 6:55 और 6:59 पर किया गया. एक स्थान पर तो जिस बस अड्डे के पास ब्लास्ट हुआ हैं, उसके ठीक पीछे स्कूल था जो शाम 6 बजे ख़त्म होता है. अगर ये ब्लास्ट कुछ देर पहले हुआ होता तो मरने वालों में सैकड़ों मासूम बच्चे भी होते.
कल मोहम्मद अजमल कसाब का जन्मदिन भी था और 13 तारीख भी. क्या ये उसके जन्मदिन का तोहफा है इस्लामिक दुनिया द्वारा या फिर भारत को चिढाया जा रहा है.
सरकार ने कहा है कि ये ब्लास्ट कट्टर संकीर्ण मानसिकता के लोगों द्वारा करवाया गया है. लेकिन कल को अगर कोई तथाकथित बुद्धिजीवी ये कहे कि ये ब्लास्ट हिन्दू संतों ने करवाया है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. इस देश में अपराधी की बजे पीड़ितों को अपराधी या दोषी घोषित करना फैशन हो गया है.
अगर सरकार ने अफजल गुरु और कसाब की खातिरदारी करने की बजाय उन्हें फाँसी की सूलियों पर लटकाया होता तो शायद आज उए इतनी हिम्मत न करते.  
अगर अब भी सरकार नहीं चेतती है तो ये देश का दुर्भाग्य ही है. 

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