Wednesday, 6 July 2011

'राष्ट्रीय सलाहकार परिषद' का प्रस्तावित हिन्दू विरोधी काला कानून


श्रीमती सोनिया गाँधी की अध्यक्षता में बनाई गई "राष्ट्रीय सलाहकार समिति" द्वारा तैयार किया गया प्रस्तावित "सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम (न्याय एवं क्षतिपूर्ति) विधेयक 2011" यदि संसद द्वारा पारित कर दिया गया तो मुसलिम, ईसाई आदि अल्पसंख्यक समूहों को हिन्दुओं के प्रति घृणा फ़ैलाने, हिन्दुओं को प्रताड़ित करने  और हिन्दू महिलाओं से बलात्कार करने के लिए प्रोत्साहन मिल जाएगा. 
इस प्रस्तावित कानून का मंतव्य ये है कि --
  1. यदि बहुसंख्यक वर्ग अर्थात हिन्दू किसी अल्पसंख्यक समूह के प्रति घृणा फैलाये या हिंसा करे या यौन उत्पीड़न करे तो हिन्दुओं को दण्डित करने का प्रावधान है.  किन्तु मुसलिम, ईसाई आदि अल्पसंख्यक समूहों द्वारा हिन्दुओं के प्रति घृणा फैलाई जाए या हिंसा की जाँच की जाए या बलात्कार आदि यौन शोषण किया जाए तो उन अल्पसंख्यकों को किसी प्रकार का दंड देने का कोई प्रावधान नहीं है.
  2. यदि कोई अल्पसंख्यक उपरोक्त अपराधों के लिए किसी बहुसंख्यक व्यक्ति या संगठन के विरुद्ध शिकायत करता है तो उसकी जांच किए बिना ही उस व्यक्ति एवं संगठन को अपराधी मानकर उसका संज्ञान लिया जाएगा. इस अपराध की असत्यता सिद्ध करना अपराधी का दायित्व होगा. शिकायत करता की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
  3. इस विधेयक में 'समूह' की परिभाषा में केवल धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग ही है,  बहुसंख्यक वर्ग के लिए समूह शब्द का प्रयोग नहीं है और केवल समूह के विरुद्ध घृणा, हिंसा आदि किया गया अपराध ही अपराध माना जाएगा.
  4. विधेयक में ये मान लिए गया है कि सांप्रदायिक हिंसा केवल बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा ही पैदा की जाती है और अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य  कभी ऐसा कर ही नहीं सकते. अतः बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ किए गये सांप्रदायिक अपराध तो दंडनीय हैं परन्तु अल्पसंख्यक समूहों द्वारा बहुसंख्याकों के खिलाफ किए गये ऐसे अपराध कतई दंडनीय नहीं माने गये हैं.
  5. अतः अल्पसंख्यक समुदय का कोई भी सदस्य इस कानून के तहत बहुसंख्यक समुदाय के विरुद्ध किए गये किसी अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता, केवल बहुसंख्यक समुदाय का सदस्य ही ऐसे अपराध कर सकता है और इसीलिए इस कानून का मंतव्य यह है कि केवल बहुसंख्यक समुद्र का सदस्य ही ऐसे अपराध कर सकते हैं, अतः उन्हें ही दोषी मानकर दंडित किया जाना चाहिए.
  6. किसी अल्पसंख्यक ने रोजगार या किराये पर घर मांग लिया तो बिना योग्यता या अनुकूलता का विचार किए आप यदि हा नहीं कहेंगे तो आप अपराधी होंगे.
  7. पुलिस व प्रशासन अल्पसंख्यकों का कवच बन जाएगी. कहीं भी अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उपरोक्त कोई भी अपराध होता है तो प्रशासन की भी समान जिम्मेदारी होगी. इस प्रकार प्रशासन अपने को बचाने के लिए निर्दोष हिन्दुओं को प्रताड़ित करेगा परन्तु यदि हिन्दुओं के प्रति उपरोक्त अपराध होता है तो प्रशासन को परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी.
  8. इस विधेयक के अनुसार एक सात सदस्यीय राष्ट्रीय प्राधिकरण बनेगा जिसमें कम से कम चार (अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित) सदस्य 'समूह' अर्थात अल्पसंख्यक समुदाय के होंगे जिससे यह निश्चित है कि बहुसंख्यक समुद्र के सदस्य अल्पमत होंगे.
इस विधेयक में धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव क्यों किया गया ? अपराध तो अपराध है चाहे वह किसी भी वर्ग के व्यक्ति ने किया है. सांप्रदायिक अपराध बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नहीं होते.

ऐसे विधेयक की क्या आवश्यकता है जो धर्म व जाति के आधार पर भेदभाव करके संविधान के पंथ निरपेक्ष स्वरुप को और राष्ट्र की एकता और अखंडता को खतरे में डालकर आतंकवादियों व अलगाववादियों का क़ानूनी हथियार बन जाए.  

इस विधेयक को तैयार करने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में सोनिया जी ने चुने हुए ऐसे लोग लिए हैं जिनका हिंदुत्व विरोधी भाव सर्वज्ञात है. इस परिषद को विधेयक तैयार करने का अधिकार किसने दिया जब इस परिषद की संविधान व कानून में कोई व्यवस्था नहीं है, ऐसे में इसकी वैधानिकता क्या है ? श्रीमती सोनिया गाँधी कांग्रेस से बड़ी हो सकती हैं परन्तु संविधान व देश से बड़ी नहीं.

1 comment:

  1. ye angrejo ke manas - putr hai.....inka bas ek hi kaam hai "foot dalo aur satta pao"....in madam ke mayeke ( itly ) ka itihaas to yahi hai.... isliye mujhe kuchh khas hairani nahi hai....unse yahi umeed ki ja sakti hai....

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